हवन प्रकरण

भारतीय धर्म का पिता यज्ञ को माना जाता है। प्रकृति का स्वभाव यज्ञ परम्परा के अनुरूप है। मन्त्रोच्चार के निकलने वाली विशिष्ट ध्वनि तरंगो का प्रभाव विश्वव्यापी प्रकृति पर, सूक्ष्म जगत पर हमारे स्थूल और सूक्ष्म शरीर पर पड़ता है। यज्ञ की उष्मा मनुष्य के अन्तःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। यज्ञ में देव प्रभाव पापनाशक एवं जीव के प्रत्येक क्षण को स्वर्गीय आनन्द प्रदान करने वाला होता है। जीवन का हर चरण एक आहुति है। वान्छित कार्यसिद्धि एवं लक्ष्यप्राप्ति के लिये यज्ञ संस्कार एक आवश्यक प्रक्रिया है।

श्रीविद्या हवन मन्त्र